वो महकती पलकों की ओट – बशीर बद्र

शीर बद्र को उर्दू शायरी के एक बड़े नाम हैं. आज उनकी शायरी “वो महकती पलकों की ओट “ पढ़े और इसे गीत के रूप में भी सुने. यूट्यूब का लिंक नीचे है.

basheer badra

वो महकती पलकों की ओट से कोई तारा चमका था रात में
मेरी बंद मुठ्ठी ना खोलिये वही कोहीनूर था हाथ में

मैं तमाम तारे उठा-उठा कर ग़रीबों में बाँट दूँ
कभी एक रात वो आसमाँ का निज़ाम दे मेरे हाथ में

अभी शाम तक मेरे बाग़ में कहीं कोई फूल खिला न था
मुझे खुशबुओं में बसा गया तेरा प्यार एक ही रात में

तेरे साथ इतने बहुत से दिन तो पलक झपकते गुज़र गये
हुई शाम खेल ही खेल में गई रात बात ही बात में

कभी सात रंगों का फूल हूँ, कभी धूप हूँ, कभी धूल हूँ
मैं तमाम कपडे बदल चुका तेरे मौसमों की बरात में

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