शमशेर बहादुर सिंह सम्पूर्ण आधुनिक हिन्दी कविता में एक अति विशिष्ट कवि के रूप में मान्य है. उनकी एक चर्चित कविता “पूरा आसमान का आसमान” पढ़े.
पूरा आसमान का आसमान
एक इन्द्रधनुषी ताल
नीला साँवला हलका-गुलाबी
बादलों का धुला
पीला धुआँ…
मेरा कक्ष, दीवारें, किताबें, मैं, सभी
इस रंग में डूबे हुए-से
मौन।
और फिर मानो कि मैं
एक मत्स्य-हृदय में
बहुत ही रंगीन,
लेकिन
बहुत सादा साँवलापन लिये ऊपर,
देखता हूँ मौन पश्चिम देश :
लहरों के क्षितिज पर
एक
बहत ही रंगीन हलकापन,
बहुत ही रंगीन कोमलता।
कहाँ है
वो किताबें, दीवारें, चेहरे, वो
बादलों की इन्द्रधनुषाकार लहरीली
लाल हँसियाँ
कहाँ है?