केदारनाथ अग्रवाल प्रगतिशील काव्य-धारा के एक प्रमुख कवि हैं. आज उनकी एक बेहद खूबसूरत हिंदी कविता पढ़िए – हमारे अफसर आदमखोर.
हमारे अफसर आदमखोर – केदारनाथ अग्रवाल
टैक्सों की भरमार-
हमारी करती है सरकार!
जीवन का अधिकार-
हमारी हरती है सरकार!!
होती है कम आय,
हमारा घटता है व्यवसाय!
होता है अन्याय,
हमारा लुटता है समुदाय!!
करते हैं व्यभिचार-
हमारे अफसर आदमखोर!
हम तो हैं लाचार,
हमारे अफसर हैं झकझोर!!
गायें कैसे गान?
हमारी दुर्बल है मुसकान!
जीवन है अपमान,
हमारी निर्बल है संतान!!