He is considered one of the major poets of the Chhayavaadi school of Hindi literature. Pant mostly wrote in Sanskritized Hindi. Pant authored twenty-eight published works including poetry, verse plays and essays.
Apart from Chhayavaadi poems, Pant also wrote progressive, socialist, humanist poems and philosophical (influenced by Sri Aurobindo) poems.
सुमित्रानंदन पंत हिंदी साहित्य में छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक हैं. इस युग को जयशंकर प्रसाद, महादेवी वर्मा, सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ और रामकुमार वर्मा जैसे कवियों का युग कहा जाता है. झरना, बर्फ, पुष्प, लता, भ्रमर-गुंजन, उषा-किरण, शीतल पवन, तारों की चुनरी ओढ़े गगन से उतरती संध्या ये सब तो सहज रूप से काव्य का उपादान बने. निसर्ग के उपादानों का प्रतीक वबिम्ब के रूप में प्रयोग उनके काव्य की विशेषता रही. उनका व्यक्तित्व भी आकर्षण का केंद्र बिंदु था. गौर वर्ण, सुंदर सौम्य मुखाकृति, लंबे घुंघराले बाल, सुगठित शारीरिक सौष्ठव उन्हें सभी से अलग मुखरित करता था.
(Source: As read on Wikipedia)
Sumitranandan Pant Poems
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Some Latest Added Poems of Sumitranandan Pant
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- आत्मा का चिर-धन – सुमित्रानंदन पंत
- काले बादल – सुमित्रानंदन पंत
- मिट्टी का गहरा अंधकार – सुमित्रानंदन पंत
- संध्या के बाद – सुमित्रानंदन पंत
- धूप का टुकड़ा – सुमित्रानंदन पंत
- ग्राम श्री – सुमित्रानंदन पंत
- जीना अपने ही में – सुमित्रानंदन पंत
- बाँध दिए क्यों प्राण – सुमित्रानंदन पंत
- मैं सबसे छोटी होऊँ – सुमित्रानंदन पंत
- आँगन से – सुमित्रानंदन पंत