जीना अपने ही में – सुमित्रानंदन पंत

सुमित्रानंदन पंत हिंदी में छायावाद युग के प्रमुख स्तंभों में से एक हैं. सुमित्रानंदन पंत का प्रकृति चित्रण श्रेष्ठ है. प्रस्तुत है यहाँ उनकी एक कविता – जीना अपने ही में

Sumitranandan Pant

जीना अपने ही में
एक महान कर्म है
जीने का हो सदुपयोग
यह मनुज धर्म है

अपने ही में रहना
एक प्रबुद्ध कला है
जग के हित रहने में
सबका सहज भला है

जग का प्यार मिले
जन्मों के पुण्य चाहिए
जग जीवन को
प्रेम सिन्धु में डूब थाहिए

ज्ञानी बनकर
मत नीरस उपदेश दीजिए
लोक कर्म भव सत्य
प्रथम सत्कर्म कीजिए