हम तेरी चाह में, ऐ यार ! वहाँ तक पहुँचे – गोपालदास “नीरज”

गोपालदास नीरज हिन्दी साहित्यकार, शिक्षक एवं फ़िल्मों के गीत लेखक थे. प्रस्तुत है उनकी एक कविता जिसका शीर्षक है – हम तेरी चाह में, ऐ यार ! वहाँ तक पहुँचे

Hindi Poet Gopal Das Neeraj

हम तेरी चाह में, ऐ यार ! वहाँ तक पहुँचे

हम तेरी चाह में, ऐ यार ! वहाँ तक पहुँचे ।
होश ये भी न जहाँ है कि कहाँ तक पहुँचे ।

इतना मालूम है, ख़ामोश है सारी महफ़िल,
पर न मालूम, ये ख़ामोशी कहाँ तक पहुँचे ।

वो न ज्ञानी ,न वो ध्यानी, न बिरहमन, न वो शेख,
वो कोई और थे जो तेरे मकाँ तक पहुँचे ।

एक इस आस पे अब तक है मेरी बन्द जुबाँ,
कल को शायद मेरी आवाज़ वहाँ तक पहुँचे ।

चाँद को छूके चले आए हैं विज्ञान के पंख,
देखना ये है कि इन्सान कहाँ तक पहुँचे ।