यह विवशता – शमशेर बहादुर सिंह

शमशेर बहादुर सिंह सम्पूर्ण आधुनिक हिन्दी कविता में एक अति विशिष्ट कवि के रूप में मान्य है. उनकी एक चर्चित कविता पढ़े – यह विवशता

Shamsher Bahadur Singh

यह विवशता
कभी बनती चाँद
कभी काला ताड़
कभी ख़ूनी सड़क
कभी बनती भीत, बांध
कभी बिजली की कड़क, जो
क्षण प्रतिक्षण चूमती-सी पहाड़।
यह विवशता
बना देती सरल जीवन को
ख़ून की आंधी
यह विवशता
मौन में भी है अथाह
भावनाओं के सलीब
स्वयं कांधा बन उठे-से हैं
कठिनतम।
हड्डियों के जोड़
खुल रहे हैं।
टूटते हैं बिजलियों के स्वप्न के आंसू;
आंख सी सूनी पड़ी है भूमि।

क्रांत अंतर में अपार
मौन।