Seelan – A Nazm By Gulzar

 

बस एक ही सुर में, एक ही लय पे सुब्ह से देख
देख कैसे बरस रहा है उदास पानी
फुवार के मलमलीं दुपट्टे से उड़ रहे हैं
तमाम मौसम टपक रहा है
पलक पलक रिस रही है ये क़ायनात  सारी
हर एक शय भीग भीग कर देख कैसी बोझल सी हो गई है
दिमाग़ की गीली गीली सोचों से
भीगी भीगी उदास यादें टपक रही हैं
थके थके से बदन में बस धीरे धीरे
साँसों का गर्म लोबान जल रहा है