केदारनाथ सिंह, हिन्दी के सुप्रसिद्ध कवि व साहित्यकार थे. यहाँ पढ़िए उनकी ही एक बेहद खूबसूरत हिंदी कविता जिसका शीर्षक है “रात पिया, पिछवारे”.
रात पिया, पिछवारे
पहरू ठनका किया ।
कँप-कँप कर जला दिया
बुझ -बुझ कर यह जिया
मेरा अंग-अंग जैसे
पछुए ने छू दिया
बड़ी रात गए कहीं
पण्डुक पिहका किया ।
आँखड़ियाँ पगली की
नींद हुई चोर की
पलकों तक आ-आकर
बाढ़ रुकी लोर की
रह-रहकर खिड़की का
पल्ला उढ़का किया ।
पथराए तारों की जोत
डबडबा गई
मन की अनकही सभी
आँखों में छा गई
सुना क्या न तुमने,
यह दिल जो धड़का किया ।