Read Sarveshwar Dayal Saxena’s famous poem “Raat Mein Varsha”. सर्वेश्वरदयाल सक्सेना बेहद प्रतिष्ठित कवि एवं साहित्यकार थे. उनकी कविता, “रात में वर्षा” पढ़े.
मेरी साँसों पर मेघ उतरने लगे हैं,
आकाश पलकों पर झुक आया है,
क्षितिज मेरी भुजाओं में टकराता है,
आज रात वर्षा होगी।
कहाँ हो तुम?
मैंने शीशे का एक बहुत बड़ा एक्वेरियम
बादलों के ऊपर आकाश में बनाया है,
जिसमें रंग-बिरंगी असंख्य मछलियाँ डाल दी हैं,
सारा सागर भर दिया है।
आज रात वह एक्वेरियम टूटेगा-
बौछारे की एक-एक बूँद के साथ
रंगीन छलियाँ गिरेंगी।
कहाँ हो तुम?
मैं तुम्हें बूँदों पर उड़ती
धारों पर चढ़ती-उतरती
झकोरों में दौड़ती, हाँफती,
उन असंख्य रंगीन मछलियों को दिखाना चाहता हूँ
जिन्हें मैंने अपने रोम-रोम की पुलक से आकार दिया है।