क्या आकाश उतर आया है – माखनलाल चतुर्वेदी

माखनलाल चतुर्वेदी भारत के ख्यातिप्राप्त कवि, लेखक और पत्रकार थे जिनकी रचनाएँ अत्यंत लोकप्रिय हुईं. उनकी एक कविता प्रस्तुत है “क्या आकाश उतर आया है”.

माखनलाल चतुर्वेदी Makhan Lal Chaturvedi

क्या आकाश उतर आया है
दूबों के दरबार में
नीली भूमि हरि हो आई
इस किरणों के ज्वार में।

क्या देखें तरुओं को, उनके
फूल लाल अंगारे हैं
वन के विजन भिखारी ने
वसुधा में हाथ पसारे हैं।

नक्शा उतर गया है बेलों
की अलमस्त जवानी का
युद्ध ठना, मोती की लड़ियों
से दूबों के पानी का।

तुम न नृत्य कर उठो मयूरी
दूबों की हरियाली पर
हंस तरस खायें उस-
मुक्ता बोने वाले माली पर।

ऊँचाई यों फिसल पड़ी है
नीचाई के प्यार में,
क्या आकाश उतर आया है
दूबों के दरबार में?