खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार – त्रिलोचन

Trilochan was an eminent hindi poet who was widely popular. Read his hindi poem “Khule Tumhare Hridya Ke Dwar Trilochan”. त्रिलोचन को हिन्दी साहित्य प्रगतिशील काव्यधारा का एक स्तम्भ माना जाता है. पढ़िए उनकी लिखी एक कविता “खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार”

Trilochan

खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार
अपरिचित पास आओ!

आँखों में सशंक जिज्ञासा
मुक्ति कहाँ, है अभी कुहासा
जहाँ खड़े हैं, पाँव जड़े हैं
स्तम्भ शेष भय की परिभाषा
हिलो मिलो फिर एक डाल के
खिलो फूल-से, मत अलगाओ!

खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार
अपरिचित पास आओ!

सबमें अपनेपन की माया
अपनेपन में जीवन आया
चंचल पवन प्राणमय बन्धन
व्योम सभी के ऊपर छाया
एक चाँदनी का मधु लेकर
एक उषा में जगो जगाओ!

खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार
अपरिचित पास आओ!

झिझक छोड़ दो, जाल तोड़ दो
तज मन का जंजाल, जोड़ दो
मन से मन, जीवन से जीवन
कच्चे कल्पित पात्र फोड़ दो
साँस-साँस से, लहर-लहर से
और पास आओ लहराओ!

खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार
अपरिचित पास आओ!