खिड़की एकाएक खुली – अज्ञेय

सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ हिंदी भाषा के कवि, लेखक, पत्रकार थे. वे नयी कविता आंदोलन और प्रयोगवाद के लिए जाने जाते थे. प्रस्तुत है उनकी एक कविता “खिड़की एकाएक खुली”

Agyeya

खिड़की एकाएक खुली

खिड़की एकाएक खुली,
बुझ गया दीप झोंके से,
हो गया बन्द वह ग्रन्थ
जिसे हम रात-रात

घोखते रहे,
पर खुला क्षितिज, पौ फटी,
प्रात निकला सूरज, जो सारे
अन्धकार को सोख गया।

धरती प्रकाश-आप्लावित!
हम मुक्त-कंठ मुक्त-हृदय
मुग्ध गा उठे
बिना मौन को भंग किये।

कौन हम?
उसी सूर्य के दूत
अनवरत धावित।