दिल, मेरी कायनात अकेली है…और मैं – शमशेर बहादुर सिंह

शमशेर बहादुर सिंह सम्पूर्ण आधुनिक हिन्दी कविता में एक अति विशिष्ट कवि के रूप में मान्य है. उनकी एक चर्चित कविता पढ़े – दिल, मेरी कायनात अकेली है…और मैं

Shamsher Bahadur Singh

दिल, मेरी कायनात अकेली है—और मैं !
बस अब ख़ुदा की जात अकेली है, और मैं !

तुम झूठ और सपने का रंगीन फ़र्क थे :
तुम क्या, ये एक बात है, और मैं !

सब पार उतर गए हैं, अकेला किनारा है :
लहरें अकेली रात अकेली है, और मैं !

तुम हो भी, और नहीं भी हो— इतने हसीन हो :
यह कितनी प्यारी रात अकेली है, और मैं !

मेरी तमाम रात का सरमाया एक शम‍अ
ख़ामोश, बेसबात, अकेली है— और मैं !

‘शमशेर’ किस को ढूँढ़ रहे हो हयात में
बेजान-सी इयात अकेली है, और मैं !