Read Sarveshwar Dayal Saxena’s famous poem “Jab Jab Sar Uthaya”. सर्वेश्वरदयाल सक्सेना बेहद प्रतिष्ठित कवि एवं साहित्यकार थे. उनकी कविता, “जब-जब सिर उठाया” पढ़े.
जब-जब सिर उठाया
जब-जब सिर उठाया
अपनी चौखट से टकराया।
मस्तक पर लगी चोट,
मन में उठी कचोट,
अपनी ही भूल पर मैं,
बार-बार पछताया।
जब-जब सिर उठाया
अपनी चौखट से टकराया।
दरवाजे घट गए या
मैं ही बडा हो गया,
दर्द के क्षणों मेंकुछ
समझ नहीं पाया।
जब-जब सिर उठाया
अपनी चौखट से टकराया।
‘शीश झुका आओ बोला
बाहर का आसमान,
‘शीश झुका आओ बोली
भीतर की दीवारें,
दोनों ने ही मुझे
छोटा करना चाहा,
बुरा किया मैंने जो
यह घर बनाया।
जब-जब सिर उठाया
अपनी चौखट से टकराया।