आत्मालोचन – त्रिलोचन

त्रिलोचन को हिन्दी साहित्य प्रगतिशील काव्यधारा का एक स्तम्भ माना जाता है. पढ़िए उनकी लिखी एक कविता – आत्मालोचन

Trilochan

शब्द
मालूम है
व्यर्थ नहीं जाते हैं

पहले मैं सोचता था
उत्तर यदि नहीं मिले
तो फिर क्या लिखा जाए
किन्तु मेरे अन्तर निवासी ने मुझसे कहा-
लिखा कर
तेरा आत्मविश्लेषण क्या जाने कभी तुझे
एक साथ सत्य शिव सुन्दर को दिखा जाए

अब मैं लिखा करता हूँ
अपने अन्तर की अनुभूति बिना रँगे चुने
कागज पर बस उतार देता हूँ ।