हिंदी फिल्मों के संगीत में आर डी बर्मन यानी कि हमारे अपने पंचम दा का स्थान सबसे अलग है. पंचम दा ने हिंदी फिल्म संगीत को एक नयी उंचाई दी है. आज भी उनका संगीत फ्रेश और नया लगता है. ये सिर्फ इसलिए कि पंचम दा शुरू से ही संगीत में नवीनतम प्रयोग करते रहे हैं. शायद यही वजह है कि उनके गाने एवरग्रीन हैं. पंचम दा ने शायद हिंदी फिल्म में सबसे ज्यादा काम गुलज़ार साहब के साथ किया है. गुलज़ार और पंचम दा सबसे अच्छे और सबसे करीबी मित्र थे. कुछ जोड़ियाँ होती हैं न जो सालों तक हमें याद रहती हैं. गुलज़ार और पंचम की ये जोड़ी वैसी ही इटरनल जोड़ियाँ हैं. इनकी जुगलबंदी शायद हिंदी फिल्मों के संगीत में सबसे अहम् और सबसे अलग है. आज पंचम दा का जन्मदिन है. इस मौके पर आईये सुनते हैं वो कविता जो गुलज़ार साहब ने पंचम दा के लिए लिखा था – याद है पंचम
याद है पंचम – Yaad Hai Pancham (Hindi)
याद है बारिशों का दिन पंचम
जब पहाड़ी के नीचे वादी में,
धुंध से झाँक कर निकलती हुई,
रेल की पटरियां गुजरती थीं–!
धुंध में ऐसे लग रहे थे हम,
जैसे दो पौधे पास बैठे हों,.
हम बहुत देर तक वहाँ बैठे,
उस मुसाफिर का जिक्र करते रहे,
जिसको आना था पिछली शब, लेकिन
उसकी आमद का वक्त टलता रहा!
देर तक पटरियों पे बैठे हुये
ट्रेन का इंतज़ार करते रहे.
ट्रेन आई, ना उसका वक्त हुआ,
और तुम यों ही दो कदम चलकर,
धुंद पर पाँव रख के चल भी दिए
मैं अकेला हूँ धुंध में पंचम!!
Yaad Hai Pancham in English Font
Yaad hai baarishon kaa din pancham
Jab pahaadii ke niiche vaadii men,
Dhundh se jhaank kar nikalatii huii,
Rail kii paTariyaan gujaratii thiin–!
Dhundh men aise lag rahe the ham,
Jaise do paudhe paas baiThe hon,.
Ham bahut der tak vahaan baiThe,
Us musaafir kaa jikr karate rahe,
Jisako aanaa thaa pichhalii shab, lekin
Usakii aamad kaa vakt Talataa rahaa!
Der tak paTariyon pe baiThe huye
Train kaa intajaar karate rahe.
Train aaii, naa usakaa vakt huaa,
Aur tum yon hii do kadam chalakar,
Dhund par paanv rakh ke chal bhii die
Main akelaa hoon dhundh men pancham!!
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