केदारनाथ अग्रवाल प्रगतिशील काव्य-धारा के एक प्रमुख कवि हैं. आज उनकी एक बेहद खूबसूरत हिंदी कविता पढ़िए – संसद और संविधान.
संसद और संविधान – केदारनाथ अग्रवाल
संसद
हो गई सर्वोपरि
संविधान हो गया संशोधित
धर्म निरपेक्ष हो गया लोकतंत्र
समाजवादी हो गया
भारत-भाग्य-विधाता,
आम आदमी हो गए अनुशासित
सिर पर लिए
संसद और संविधान
एक ही चाल और चरित्र से
अनुबंधित जीने के लिए
लघुत्तम इकाई से महत्तम इकाई होने के लिए
अंततोगत्वा
देश के लिए होम में हविष्य हो गए