हिंदी ग़ज़ल और गीत के महत्वपूर्ण हस्ताक्षर कुंवर बेचैन की एक बेहद खूबसूरत कविता पढ़िए – समय की सीढ़ियाँ चढ़ते हुए
समय की सीढ़ियाँ चढ़ते हुए – कुँवर बेचैन
समय की सीढ़ियाँ चढ़ते हुएजो साल आया है ।
खुशी का हाथ में लेकर नया रूमाल आया है।
इसी रूमाल में रक्खा हुआ इक प्यार का खत है
इसी खत में नई शुभकामनाओं की इबारत है
हृदय के गेह में इक नेह-दीपक बाल आया है।
समय की सीढ़ियाँ चढ़ते हुए जो साल आया है।
कि अब मंहगाई, भ्रष्टाचार दोनों को मरण देने
हर इक इंसान को इंसानियत का आचरण देने
हृदय पर रोज़ लिखने के लिए ‘खुशहाल ’ आया है।
समय की सीढ़ियाँ चढ़ते हुए जो साल आया है।