राह तो एक थी – शमशेर बहादुर सिंह

शमशेर बहादुर सिंह सम्पूर्ण आधुनिक हिन्दी कविता में एक अति विशिष्ट कवि के रूप में मान्य है. उनकी एक चर्चित कविता “राह तो एक थी” पढ़े.

Shamsher Bahadur Singh

राह तो एक थी हम दोनों की आप किधर से आए गए
हम जो लुट गए पिट गए, आप तो राजभवन में पाए गए

किस लीला युग में आ पहुँचे अपनी सदी के अंत में हम
नेता, जैसे घास फूस के रावण खड़े कराए गए

जितना ही लाउडस्पीकर चीख़ा उतना ही ईश्वर दूर हुआ
उतने ही दंगे फैले जितने ‘दीन धरम’ फैलाए गए

दादा की गोद में पोता बैठा ‘महबूबा! महबूबा गाए
दादी बैठी मूड़ हिलाए हम किस जुग में आए गए

गीत ग़ज़ल है फ़िल्मी लय में शुद्ध गलेबाज़ी शमशेर
आज कहां वो गीत जो कल थे गलियों गलियों गाए गए