माखनलाल चतुर्वेदी भारत के ख्यातिप्राप्त कवि, लेखक और पत्रकार थे जिनकी रचनाएँ अत्यंत लोकप्रिय हुईं. उनकी एक कविता प्रस्तुत है “इस तरह ढक्कन लगाया रात ने”.
इस तरह ढक्कन लगाया रात ने
इस तरफ़ या उस तरफ़ कोई न झाँके।
बुझ गया सूर्य
बुझ गया चाँद, तस्र् ओट लिये
गगन भागता है तारों की मोट लिये!
आगे-पीछे,ऊपर-नीचे
अग-जग में तुम हुए अकेले
छोड़ चली पहचान, पुष्पझर
रहे गंधवाही अलबेले।
ये प्रकाश के मरण-चिन्ह तारे
इनमें कितना यौवन है?
गिरि-कंदर पर, उजड़े घर पर
घूम रहे नि:शंक मगन हैं।
घूम रही एकाकिनि वसुधा
जग पर एकाकी तम छाया
कलियाँ किन्तु निहाल हो उठीं
तू उनमें चुप-चुप भर आया
मुँह धो-धोकर दूब बुलाती
चरणों में छूना उकसाती
साँस मनोहर आती-जाती
मधु-संदेशे भर-भर लाती।