नागार्जुन हिन्दी, संस्कृत और मैथिली के अप्रतिम लेखक और कवि थे. उनकी लिखी एक हिंदी कविता पढ़ें, शीर्षक है – इन घुच्ची आँखों में
क्या नहीं है
इन घुच्ची आँखों में
इन शातिर निगाहों में
मुझे तो बहुत कुछ
प्रतिफलित लग रहा है!
नफरत की धधकती भट्टियाँ…
प्यार का अनूठा रसायन…
अपूर्व विक्षोभ…
जिज्ञासा की बाल-सुलभ ताजगी…
ठगे जाने की प्रायोगिक सिधाई…
प्रवंचितों के प्रति अथाह ममता…
क्या नहीं झलक रही
इन घुच्ची आँखों से?
हाय, हमें कोई बतलाए तो!
क्या नहीं है
इन घुच्ची आँखों में!