केदारनाथ अग्रवाल प्रगतिशील काव्य-धारा के एक प्रमुख कवि हैं. आज उनकी एक बेहद खूबसूरत हिंदी कविता “हाय न आई” पढ़िए.
आज भी आई
कल भी आई
रेल बराबर सब दिन आई!
लेकिन दिल्ली से आजादी
अब तक अब तक हाय न आई,
हाय न आई!!
चिट्ठी आई
पत्री आई
डाक बराबर सब दिन आई
लेकिन दिल्ली से आजादी
अब तक अब तक हाय न आई,
हाय न आई!!
आफत ही आफत सब आई
लेकिन दिल्ली से आजादी
अब तक अब तक हाय न आई,
हाय न आई!!