एक लहर फैली अनन्त की – त्रिलोचन

त्रिलोचन को हिन्दी साहित्य प्रगतिशील काव्यधारा का एक स्तम्भ माना जाता है. पढ़िए उनकी लिखी एक कविता “एक लहर फैली अनन्त की”.

Trilochan

सीधी है भाषा बसन्त की

कभी आँख ने समझी
कभी कान ने पाई
कभी रोम-रोम से
प्राणों में भर आई
और है कहानी दिगन्त की।

नीले आकाश में
नई ज्योति छा गई
कब से प्रतीक्षा थी
वही बात आ गई
एक लहर फैली अनन्त की।