हरिवंश राय बच्चन हिन्दी कविता के उत्तर छायावद काल के प्रमुख कवियों में से एक हैं. उनकी एक हिंदी कविता पढ़ें जिसका शीर्षक है – चल मरदाने
चल मरदाने – हरिवंशराय बच्चन
चल मरदाने, सीना ताने,
हाथ हिलाते, पांव बढाते,
मन मुस्काते, गाते गीत ।
एक हमारा देश, हमारा
वेश, हमारी कौम, हमारी
मंज़िल, हम किससे भयभीत ।
चल मरदाने, सीना ताने,
हाथ हिलाते, पांव बढाते,
मन मुस्काते, गाते गीत ।
हम भारत की अमर जवानी,
सागर की लहरें लासानी,
गंग-जमुन के निर्मल पानी,
हिमगिरि की ऊंची पेशानी
सबके प्रेरक, रक्षक, मीत ।
चल मरदाने, सीना ताने,
हाथ हिलाते, पांव बढाते,
मन मुस्काते, गाते गीत ।
जग के पथ पर जो न रुकेगा,
जो न झुकेगा, जो न मुडेगा,
उसका जीवन, उसकी जीत ।
चल मरदाने, सीना ताने,
हाथ हिलाते, पांव बढाते,
मन मुस्काते, गाते गीत ।