Read Sarveshwar Dayal Saxena’s famous poem “Aaj Pahli Baar”. सर्वेश्वरदयाल सक्सेना बेहद प्रतिष्ठित कवि एवं साहित्यकार थे. उनकी कविता, “आज पहली बार” पढ़े.
आज पहली बार
थकी शीतल हवा ने
शीश मेरा उठा कर
चुपचाप अपनी गोद में रक्खा,
और जलते हुए मस्तक पर
काँपता सा हाथ रख कर कहा-
“सुनो, मैं भी पराजित हूँ
सुनो, मैं भी बहुत भटकी हूँ
सुनो, मेरा भी नहीं कोई
सुनो, मैं भी कहीं अटकी हूँ
पर न जाने क्यों
पराजय नें मुझे शीतल किया
और हर भटकाव ने गति दी;
नहीं कोई था
इसी से सब हो गए मेरे
मैं स्वयं को बाँटती ही फिरी
किसी ने मुझको नहीं यति दी”
लगा मुझको उठा कर कोई खडा कर गया
और मेरे दर्द को मुझसे बड़ा कर गया।
आज पहली बार।