Fani Badayuni

फ़ानी बदायूनी Fani Badayuni Fani Badayuni, born as Shaukat Ali Khan (1879 – 27 August 1941), was an Urdu poet.  Fani Badayuni started composing poetry around twenty years of age.He translated works of Shakespeare and Milton in Urdu. He practiced law in Bareilly and Lucknow and later at Civil courts in Agra, but could not make much success. He published an Urdu magazine but closed it in 1931.

फ़ानी को निराशावाद का पेशवा कहा जाता है। उनकी शायरी दुख व पीड़ा की शायरी है।फ़ानी बदायूनी का नाम शौकत अली ख़ां था, पहले शौकत तख़ल्लुस करते थे, बाद में फ़ानी पसंद किया। फ़ानी ने ग्यारह साल की उम्र में ही शायरी शुरू कर दी थी और 1898 ई. में उनका पहला दीवान संकलित हो गया था.

(Source: As read on Wikipedia)

Fani Badayuni Shayari and Poems 

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Some Latest Added Poems of Fani Badayuni 

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Some Famous Fani Badayuni Sher Shayari

  • ना-उमीदी मौत से कहती है अपना काम कर
    आस कहती है ठहर ख़त का जवाब आने को है

  • इस दर्द का इलाज अजल के सिवा भी है
    क्यूँ चारासाज़ तुझ को उम्मीद-ए-शिफ़ा भी है
  • या-रब तिरी रहमत से मायूस नहीं ‘फ़ानी’
    लेकिन तिरी रहमत की ताख़ीर को क्या कहिए

  • रूह घबराई हुई फिरती है मेरी लाश पर
    क्या जनाज़े पर मेरे ख़त का जवाब आने को है

  • किस ख़राबी से ज़िंदगी ‘फ़ानी’
    इस जहान-ए-ख़राब में गुज़री

  • दिल का उजड़ना सहल सही बसना सहल नहीं ज़ालिम
    बस्ती बसना खेल नहीं बसते बसते बस्ती है

  • रूह घबराई हुई फिरती है मेरी लाश पर
    क्या जनाज़े पर मेरे ख़त का जवाब आने को है

  • नहीं ज़रूर कि मर जाएँ जाँ-निसार तेरे
    यही है मौत कि जीना हराम हो जाए

  • रोने के भी आदाब हुआ करते हैं ‘फ़ानी’
    ये उस की गली है तेरा ग़म-ख़ाना नहीं है

  • यूँ चुराईं उस ने आँखें सादगी तो देखिए
    बज़्म में गोया मिरी जानिब इशारा कर दिया

  • इक मुअम्मा है समझने का समझाने का
    ज़िंदगी काहे को है ख़्वाब है दीवाने का