मुहँ की बात सुने हर कोई, दिल के दर्द को जाने कौन
आवाजों के बाजारों में ख़ामोशी पहचाने कौन
सदियों सदियों वही तमाशा, रस्ता रस्ता लम्बी खोज
लेकिन जब हम मिल जाते हैं, खो जाता है जाने कौन !
वो मेरा आईना है और मैं उसकी परछाई हूँ
मेरे घर में रहता है, मुझ जैसा ही जाने कौन
किरण किरण अलसाता सूरज, पलक पलक खुलती नींद
धीमे धीमे बिखर रहा है, ज़र्रा ज़र्रा जाने कौन
आवाजों के बाजारों में ख़ामोशी पहचाने कौन
चाँद से फूल से या मेरी जुबां से सुनिए,
हर तरफ आप का किसा जहां से सुनिए,
सब को आता है दुनिया को सता कर जीना,
ज़िंदगी क्या मुहब्बत की दुआ से सुनिए,
मेरी आवाज़ पर्दा मेरे चहरे का,
मैं हूँ खामोश जहां मुझको वहां से सुनिए,
क्या ज़रूरी है की हर पर्दा उठाया जाए,
मेरे हालात अपने अपने मकान से सुनिए..
जीवन क्या है चलता फिरता एक खिलोना है
दो आँखो मे एक से हसँना एक से रोना है
जो जी चाहे वो मिल जाये कब ऐसा होता है
हर जीवन जीवन जीने का समझौता है
अब तक जो होता आया है वो ही होना है
रात अन्धेरी भोर सुहानी यही ज़माना है
हर चादर मे दुख का ताना सुख का बाना है
आती साँस को पाना जाती साँस को खोना है
बदला ना अपने आप को जो थे वही रहे
मिलते रहे सभी से मगर अजनबी रहे
ढुनिया न जीत पाओ तो हारो न खुद को तुम
थोड़ी बहुत तो ज़हन मे नाराज़गी रहे
अपनी तरह सभी को किसी की तलाश थी
हम जिसके भी करीब रहे दुर ही रहे
गुज़रो जो बाग से तो दुआ मांगते चलो
जिसमे खिले है फुल वो डाली हरी रहे
अपना गम ले के कही और ना जाया जाये
घर मे बिखरी हुई चीजो को सजाया जाये
जिन चिरागो को हवाओ का कोई खौफ़ नही
ऊन चिरागो को हवाओ से बचाया जाये
बाग मे जाने के आदाब हुआ करते है
किसी तित्ली को न फूलो से उडाया जाये
घर से मस्जिद है बहुत दुर चलो यू कर ले
किसी रोते हुये बच्चे को हसँया जाये