नज़र उठाओ ज़रा तुम तो क़ायनात चले,
है इन्तज़ार कि आँखों से कोई बात चले
है इन्तज़ार कि आँखों से कोई बात चले
तुम्हारी मर्ज़ी बिना वक़्त भी अपाहज है
न दिन खिसकता है आगे, न आगे रात चले
न दिन खिसकता है आगे, न आगे रात चले
न जाने उँगली छुडा के निकल गया है किधर
बहुत कहा था जमाने से साथ साथ चले
बहुत कहा था जमाने से साथ साथ चले
किसी भिखारी का टूटा हुआ कटोरा है
गले में डाले उसे आसमाँ पे रात चले
गले में डाले उसे आसमाँ पे रात चले
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Nazar uthaao tum to kaaynat chale
Hai intzaar ki aankhon se koi baat chale
tumhari marzee ke bina waqt bhi apaahaj hai
na din khisakta hai aagey, naa aagey raat chale
Na jaane ungli chhudaa ke nikal gaya hai kidhar
Bahut kaha tha zamaane se saath-saath chale
Kisi bhikhari ka tuta hua katora hai
Gale mein daale usey aasman pe raat chale.